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Poem on WHO – ORS – By Dr. Pradeep Shukla

‘ डब्ल्यू एच ओ – ओ आर एस ‘ है सबसे बड़ी दवाई
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भोलू भालू कल सन्डे को
गया घूमने हाट
और किनारे वहीं सड़क पर
उसने खाई चाट

दो दर्जन पानी पूरी भी
कल उसने थे गटके
ऊपर से फिर दो दो पत्तल
दही बड़े भी सटके

आज सुबह बिस्तर से उठकर
हुई अचानक उल्टी
बिस्तर पर ले रहा दर्द से
भोलू अल्टी पल्टी

दस्त शुरू हो गए दनादन
भोलू जी घबराए
भोलू की मम्मी दौड़ें, कुछ
उनको समझ न आए

फोन लगाया डॉक्टर को
तो उसने तुरत बताया
ओ आर एस का घोल पिलाओ
शाम तलक मैं आया

घर में अभी नहीं ओ आर एस
मम्मी भी घबराई
तभी पड़ोसी रुनझुन बन्दर
दौड़ी भागी आई

कहा, अरे! तुम भोलू दादा
बिल्कुल मत घबराना
नमक और चीनी से मुझको
आता घोल बनाना

तब तक इसको पियो ज़रा तुम
मैं जाती बाजार
अभी दौड़ ओ आर एस के
पैकेट लाती हूँ चार

ग्लास भरा गोलू ने पूरा
गट गट सब पी डाला
पर तुरंत ही उल्टी में फिर
सारा घोल निकाला

सुस्त हो गया अब तक भोलू
लेटा हुआ निढाल
घबराई मम्मी की हालत
हुई हाल बेहाल

तब तक रुनझुन ओ आर एस के
पैकेट लेकर आई
छोटा पैकेट एक ग्लास में
डाल तुरत वह लाई

दो दो चम्मच पानी,
हर दो मिनट में उसे पिलाया
हुई नहीं उल्टी भोलू को
अब जाकर मुस्काया

सूझबूझ से रुनझुन ने
भोलू की जान बचाई
सुनो, दस्त में ओ आर एस है
सबसे बड़ी दवाई.

– प्रदीप शुक्ल